60 साल की उम्र में शुगर कितना होना चाहिए

 60 साल की उम्र में शुगर कितना होना चाहिए



शुगर (डायबिटीज) ज्या
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दा उम्र के लोगों में कैसे होता है?


एक विस्तृत और वैज्ञानिक दृष्टिकोण

परिचय:
डायबिटीज या शुगर आज के समय की सबसे आम बीमारियों में से एक बन चुकी है। विशेषकर वृद्ध यानी 50 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों में यह बीमारी बहुत तेजी से फैल रही है। इस बीमारी के कारण शरीर में ब्लड शुगर लेवल असामान्य रूप से बढ़ जाता है, जिससे कई प्रकार की जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं। इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि शुगर ज्यादा उम्र के लोगों में क्यों और कैसे होता है, इसके कारण, लक्षण, और बचाव के उपाय क्या हैं।












उम्र बढ़ने के साथ शुगर होने का खतरा क्यों बढ़ता है?

1. इंसुलिन रेजिस्टेंस का बढ़ना
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जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील हो जाती हैं। इसका मतलब यह है कि इंसुलिन हार्मोन अपनी सामान्य कार्यक्षमता खोने लगता है, जिससे शरीर में शुगर लेवल कंट्रोल में नहीं रहता। इसे इंसुलिन रेजिस्टेंस कहा जाता है, और यह टाइप 2 डायबिटीज का प्रमुख कारण है।

2. पैंक्रियास की कार्यक्षमता कम होना

बुजुर्गों में अग्न्याशय (Pancreas) की कार्यक्षमता धीरे-धीरे घटने लगती है, जिससे इंसुलिन उत्पादन भी घट जाता है। जब शरीर में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनता, तो ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है।

3. शारीरिक सक्रियता में कमी

उम्र बढ़ने के साथ लोग शारीरिक रूप से कम सक्रिय हो जाते हैं। व्यायाम की कमी से वजन बढ़ता है और मेटाबोलिज्म धीमा हो जाता है, जिससे डायबिटीज होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है।

4. मोटापा और पेट की चर्बी

बुजुर्गों में खासकर पेट के आसपास चर्बी जमा हो जाती है। यह चर्बी हार्मोनल असंतुलन पैदा करती है जो इंसुलिन के प्रभाव को कम कर देती है और डायबिटीज की स्थिति उत्पन्न करती है।

5. अनुवांशिकता और पारिवारिक इतिहास

यदि परिवार में किसी को डायबिटीज है, तो बुजुर्ग होने पर व्यक्ति को यह बीमारी होने का खतरा और भी अधिक हो जाता है। उम्र के साथ यह रिस्क कई गुना बढ़ जाता है।

बुजुर्गों में डायबिटीज के सामान्य लक्षण

बार-बार पेशाब आना

अत्यधिक प्यास लगना

भूख ज्यादा लगना या अचानक वजन घटना

थकान और कमजोरी

धुंधली दृष्टि

पैरों में झुनझुनी या सुन्नपन

बार-बार संक्रमण होना (त्वचा, मूत्र मार्ग आदि में)

घाव का देर से भरना

यदि इनमें से कोई लक्षण लगातार बना रहे, तो डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।

उम्रदराज लोगों में डायबिटीज के जोखिम बढ़ाने वाले प्रमुख कारण

कारणविवरणआहारअत्यधिक कार्बोहाइड्रेट और मीठे पदार्थों का सेवनतनावमानसिक तनाव से हार्मोनल असंतुलन होता हैनींद की कमीनींद की अनियमितता मेटाबोलिज्म को प्रभावित करती हैदवाइयों का प्रभावकुछ दवाइयाँ (जैसे स्टेरॉयड) ब्लड शुगर बढ़ा सकती हैंधूम्रपान व शराबये दोनों चीजें इंसुलिन की कार्यक्षमता को प्रभावित करती हैं

बुजुर्गों में शुगर कंट्रोल करने के उपाय

1. संतुलित आहार लें

साबुत अनाज, दलिया, सब्जियाँ और फाइबर युक्त आहार लें

मीठे और प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें

कम मात्रा में लेकिन बार-बार भोजन करें

2. नियमित व्यायाम करें

हर दिन कम से कम 30 मिनट वॉक या योग करना अत्यंत लाभकारी है। इससे इंसुलिन सेंसिटिविटी बढ़ती है।

3. ब्लड शुगर की नियमित जांच

हफ्ते में कम से कम एक बार शुगर लेवल की जांच करें। अगर शुगर लेवल में उतार-चढ़ाव दिखे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

4. दवाइयों का सही समय पर सेवन

डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाइयाँ समय पर और नियमित रूप से लें। कोई भी दवा बंद या बदलने से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूरी है।

5. तनाव को कम करें

ध्यान, प्राणायाम और सकारात्मक सोच अपनाएं। मानसिक शांति डायबिटीज कंट्रोल में अहम भूमिका निभाती है।

प्राकृतिक उपाय और घरेलू उपचार (Home Remedies)

मेथी दाना: रोज सुबह खाली पेट 1 चम्मच मेथी पानी के साथ लेने से ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है।

जामुन: जामुन और उसके बीज डायबिटीज में अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं।

आंवला और एलोवेरा जूस: ये दोनों ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
(नोट: किसी भी घरेलू उपाय को शुरू करने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।)

निष्कर्ष

ज्यादा उम्र में डायबिटीज का खतरा इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि शरीर की कार्यक्षमता धीरे-धीरे कम होती जाती है। लेकिन यह बीमारी जीवन का अंत नहीं है। थोड़ी सी जागरूकता, जीवनशैली में सुधार और नियमित चिकित्सा जांच से इसे पूरी तरह से नियंत्रित किया जा सकता है। बुजुर्गों को चाहिए कि वे स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम और मानसिक शांति के साथ एक अनुशासित जीवन जिएं, ताकि वे शुगर जैसी बीमारी को मात दे सकें।


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